शिक्षा में उदारीकरण तथा निजीकरण
शिक्षा में उदारीकरण क्या है
शैक्षिक उदारीकरण सीता भारत में शिक्षण संस्थानों को कुछ निश्चित सुधारों व नीतियों में शिथिलता प्रदान करना है।
उच्च शिक्षा के लिए अंतर दर्शन व प्रत्यक्षीकरण की आवश्यकता पड़ती है...
उच्च शिक्षा में इसकी वास्तविक कमजोर थी इसकी संगठनात्मक ढांचे में होने के कारण
भारतीय शिक्षा नीति 2009
भारत में शैक्षिक संस्थान ट्रस्ट ओं सोसायटी ओं फॉर चैरिटेबल कंपनियों द्वारा मुख्य रूप में डा खोले जाते हैं अर्थात स्वायत्तता का अभाव अभी भी दर्शनीय है
क्या विदेशी शैक्षिक संस्थान भारतीय परिदृश्य के अनुसार एक अप्रतिम परिवर्तन लाने में सक्षम है?
हां
विदेशी क्षणिक संस्थानों द्वारा वैश्वीकरण के तहत भारत में कोर्स के आधे भाग को करवाना यह भारतीय शैक्षणिक संस्थानों कि प्रोत्साहन आ के लिए आवश्यक है?
हां
विदेशी विश्वविद्यालयों के भारत आने पर कुछ सीमित रूप लगाना भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली में एक अप्रतिम परिवर्तन ला सकता है।
उदारीकरण के लाभ
. देश की वित्तीय व्यवस्था में सुधार।
. शैक्षिक संस्थानों की आपसी प्रतिस्पर्धा के कारण शिक्षा के अधिकार की पूर्ति।
. विशेष उद्योगों पर आधारित व विशेष कौशलों से युक्त स्नातकों का विकास।
. तकनीकी व संचार सुविधाओं में तीव्र वृद्धि।
क्या सुनियोजित गुणवत्तापूर्ण शिक्षा शिक्षार्थियों के सांस्कृतिक भावात्मक नैतिक भौतिक शारीरिक व सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है?
हाँ
शैक्षिक निजी करण क्या है?
शैक्षिक निजी करण से तात्पर्य ऐसे संस्थानों से होता है जो स्वतंत्र रूप से शिक्षण कार्य को संपन्न करती है तो था जिसमें सरकार का हस्तक्षेप नाम मात्र का होता है।
शिक्षा में निजीकरण के लाभ...
. सूचना तकनीकी बायो टेक्नोलॉजी व नैनो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उन्नति
. शिक्षण अधिगम क्षमताओं के विकास हेतु अधिक अवसर
. सरकारी क्षेत्रों की अपेक्षा क्षेत्रों में रोजगार के अवसर की उपलब्धता
. अपेक्षाकृत अधिक क्रियाकलाप कराने के अवसर
निजीकरण के दोष
. गुणवत्ता की गारंटी नहीं
. व्यवसायीकरण का खतरा
. नीति करण द्वारा अंतर सांस्कृतिक व अंतर सामाजिक परिवर्तन की संभावना
. अध्यापकों की शोषण की संभावना
Post a Comment
Post a Comment